इस यात्रा के सभी वृतान्तो के लिंक निम्न हैं:-
रूपकुण्ड ट्रैक की जानकारी
रूपकुण्ड ये नाम बहुत से ट्रैकर को अपनी ओर आकर्षित करता आया है, इस एक ट्रैक पर प्रकृति के कई रंग एक साथ देखने को मिलते हैं, पहाड़ के गाँव में रुकने का अनुभव, घना जंगल, शानदार बुग्याल का साम्राज्य, चौखम्भा, नंदा घूंटी और त्रिशूल पर्वत के शानदार दर्शन और विश्व प्रसिद्द नंदा देवी राज जात यात्रा भी यहीं से होकर गुजरती है उससे जुडे पौराणिक स्थान और कहानियां। और फिर इस कुण्ड में बिखरे पड़े सदियों पुराने नर कंकाल तो हैं ही। इतना सब कुछ जब एक ही ट्रैक पर मिल रहा हो तो सभी का इसकी ओर आकर्षित होना बनता ही है। इसलिए साल दर साल बहुत लोग यहाँ घूमने आते रहे हैं। बेदिनी बुग्याल, आली बुग्याल आदि बहुत से आकर्षण यहाँ हैं जो सभी को अपनी और खींचते रहते हैं।
मैंने यह ट्रैक अक्टूबर 2015 के प्रथम सप्ताह में किया था और तीन दिन में ही पूरा कर लिया था, जिसमें रूपकुण्ड से ऊपर जुनारगली तक भी हो आया था। अमूमन ट्रैवल कम्पनियाँ इसको चार से पाँच दिन में करवाती हैं। बहरहाल मैं अपने अनुभव के हिसाब से कुछ जानकारी आप सभी के लिए साझा कर रहा हूँ। उम्मीद करूँगा कि आप जो पहली बार यहाँ जा रहे हैं आपके काम आएगी।
रास्ता और पहुंचे कैसे -
इस ट्रैक पर जाने के लिए दो रास्ते हैं, पहला वाण गाँव से और दूसरा लोहाजंग से दीदना होते हुए। लोहाजंग जाना ही होता है, चाहे आप किसी भी रास्ते से ट्रैक करें। अब लोहाजंग कैसे पहुंचे ? लोहाजंग पहुँचने के लिए भी दो रास्ते हैं। एक ऋषिकेश से श्रीनगर होते हुए कर्णप्रयाग और कर्णप्रयाग से लोहाजंग या वाण। दूसरा रास्ता अगर आप रेल मार्ग से आ रहे हैं तो काठगोदाम से ग्वालदम तक बस से और ग्वालदम से लोहाजंग या वाण। रेल मार्ग से ऋषिकेश भी पहुँच सकते हैं। ऋषिकेश से सुबह पांच बजे वाण गांव की सीधी बस सेवा भी है। वैसे एक बार कर्णप्रयाग पहुँच जाएँ तो वहां से आगे के लिए दिन के समय आसानी से जीप भी मिल जाती हैं। मैं अपनी कार से ऋषिकेश से ही होकर गया था। रास्ता अच्छा बना है, अगर आप अपनी कार या बाइक से जा रहे हैं तो सीधे वाण गाँव तक अच्छी सड़क है। काठगोदाम वाला रास्ता अभी मैंने नहीं देखा, इसलिए उसकी स्तिथि कैसी है कह नहीं सकता। वैसे काठगोदाम से भी काफी लोग वाण आसानी से पहुँचते हैं, ये दोनों रास्ते थराली में आपस में मिल जाते हैं।
शारीरिक तैयारी -
रूपकुण्ड समुद्र तल से 5000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। निश्चित रूप से इस ऊँचाई पर हवा में ऑक्सीज़न की मात्रा कम होगी। फिर वाण गाँव 2400 मीटर पर है, और हमको 5000 मीटर तक चढ़ना है, इसलिए चढ़ाई भी अच्छी खासी मिलनी तय है। मैंने कई ट्रैकर आधे से ही लौट कर आते देखे। इसलिए इस ट्रैक के लिए शारीरिक तैयारी भी बहुत जरुरी है। अगर आप 3500 मीटर तक पहले भी जा चुके हैं तो ही इस ट्रैक को कीजिये। पहली बार पहाड़ों पर जाने वालों को सीधे रूपकुण्ड से शुरुवात करने की सलाह कतई नहीं दूंगा।
कपडे -
इस ट्रैक पर काफी ऊंचाई होने के कारण ठण्ड हमेशा ही मिलेगी। चाहे आप साल के किसी भी महीने में जाएँ। गर्म कपडे अति आवश्यक होंगे। साथ ही विंड प्रूफ जैकेट बहुत जरुरी है, वैसे नार्मल जैकेट के बाहर से बरसाती पहन लें तो वो भी काम कर लेती है। खासकर कालू विनायक पहुँचते ही बर्फीली हवा सीधे शरीर को चुभती है।
रहना और खाना -
इस पूरे ट्रैक पर गैरोली पाताल, बेदिनी, पातर नाचणी और भगुवासा में वन विभाग की फाइबर हट बनी हैं। जिसमे मामूली किराया देकर आप रात को रुक सकते हैं, बस आपके पास स्लीपिंग बैग होना जरुरी है। वैसे स्लीपिंग बैग वाण गाँव से आसानी से किराये पर भी मिल जाते हैं। तापमान रात को बहुत कम होता है, इसलिए स्लीपिंग बैग अच्छी क्वालिटी का होना जरुरी है। सीजन में जगह जगह ढाबे खुले मिलेंगे, जहाँ जहाँ फाइबर हट है वहीँ ढाबे भी खुले मिल जाएंगे, इसलिए भोजन की भी कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। फाईबर हट के लिए किसी तरह की कोई बुकिंग नहीं चाहिए, आप सीधे वहीँ जाकर बात कीजिये, वैन विभाग के कर्मचारी हर जगह तैनात मिलेंगे। हाँ कुछ टॉफी और बिस्कुट साथ रख लें, चलते चलते भूख लगी तो काम आ जाएंगे।
गाइड/पोर्टर -
पूरे ट्रैक का रास्ता बहुत बढ़िया बना है इसलिए गाइड की खास जरूरत नहीं है, हाँ अगर अपना सामन खुद नहीं ढोना चाहते तो पोर्टर साथ ले सकते हैं। वाण गाँव में आसानी से मिल जाएंगे। कोई स्थानीय साथ में हो तो मन लगा रहता है, इस ट्रैक की हर जगह की अपनी कहानी नंदा देवी राज जात यात्रा से जुडी है। वहां का बच्चा बच्चा इससे अवगत है, आप भी सुनते सुनते चलिए मजा आएगा। अगर ग्रुप में हैं तो वाण गाँव से घोडा कर लीजिए, घोडा लेंगे तो घोड़े वाला भी साथ चलेगा वही आपकी आगे की सारी व्यवस्था भी करवा देगा। हम आठ लोगों का ग्रुप था, हमने भी सिर्फ एक घोडा कर लिया था।
पानी -
पानी की उपलब्धता सीमित जगहों पर ही है, जहाँ पानी मिले अपनी बोतल भर लें। वाण के बाद रणकधार, नीलगंगा, गैरोली पाताल, बेदिनी, पातर नाचणी में ही पानी है। भगुवासा में पानी की बहुत किल्लत है, और भगुवासा से आगे एक जगह नाला बहता है, लेकिन अधिकतर समय कम तापमान के कारण जम कर बर्फ ही बना मिलता है।
बिजली -
बिजली की उपलब्धता वाण गाँव तक ही है। फ़ोन, कैमरा यहीं से चार्ज करके चलिये। फ़ोन नेटवर्क सिर्फ गैरोली पाताल तक ही मिलता है। पातर नाचणी में कहीं एक कोने पर जाकर कुछ नेटवर्क मिल जाता है। ठण्ड से बैटरी जल्दी ख़त्म होती हैं, इसलिए इनको कपडे से लपेटकर रख लें।
अंत में कुछ एक छोटी छोटी बातें-
ये एक high altitude ट्रैक है, इसलिए धीरे धीरे ही चढ़ें। अक्सर कालू विनायक पर लोग ऑक्सीज़न की कमी के कारण "AMS" (उच्च पर्वतीय बीमारी) का शिकार हो जाते हैं। इसके लिए मैं एक पोस्ट पहले भी लिख चूका हूँ, उसको भी एक बार पढ़ लें तो मदद मिलेगी। दवाई आदि जरूर रख लें, आपातकाल में बहुत काम आएँगी।
और अन्त में .... रूपकुण्ड ट्रैक अपने आप में सम्पूर्ण खूबसूरती लिए हुए है। अगर हम कुछ जरुरी सावधानियों के साथ यहां जाएँ तो भरपूर आनन्द ले सकते हैं। आपकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं। आपके सवालों और सुझावों का स्वागत है।
रूपकुण्ड ट्रैक की जानकारी
रूपकुण्ड ये नाम बहुत से ट्रैकर को अपनी ओर आकर्षित करता आया है, इस एक ट्रैक पर प्रकृति के कई रंग एक साथ देखने को मिलते हैं, पहाड़ के गाँव में रुकने का अनुभव, घना जंगल, शानदार बुग्याल का साम्राज्य, चौखम्भा, नंदा घूंटी और त्रिशूल पर्वत के शानदार दर्शन और विश्व प्रसिद्द नंदा देवी राज जात यात्रा भी यहीं से होकर गुजरती है उससे जुडे पौराणिक स्थान और कहानियां। और फिर इस कुण्ड में बिखरे पड़े सदियों पुराने नर कंकाल तो हैं ही। इतना सब कुछ जब एक ही ट्रैक पर मिल रहा हो तो सभी का इसकी ओर आकर्षित होना बनता ही है। इसलिए साल दर साल बहुत लोग यहाँ घूमने आते रहे हैं। बेदिनी बुग्याल, आली बुग्याल आदि बहुत से आकर्षण यहाँ हैं जो सभी को अपनी और खींचते रहते हैं।
मैंने यह ट्रैक अक्टूबर 2015 के प्रथम सप्ताह में किया था और तीन दिन में ही पूरा कर लिया था, जिसमें रूपकुण्ड से ऊपर जुनारगली तक भी हो आया था। अमूमन ट्रैवल कम्पनियाँ इसको चार से पाँच दिन में करवाती हैं। बहरहाल मैं अपने अनुभव के हिसाब से कुछ जानकारी आप सभी के लिए साझा कर रहा हूँ। उम्मीद करूँगा कि आप जो पहली बार यहाँ जा रहे हैं आपके काम आएगी।
रास्ता और पहुंचे कैसे -
इस ट्रैक पर जाने के लिए दो रास्ते हैं, पहला वाण गाँव से और दूसरा लोहाजंग से दीदना होते हुए। लोहाजंग जाना ही होता है, चाहे आप किसी भी रास्ते से ट्रैक करें। अब लोहाजंग कैसे पहुंचे ? लोहाजंग पहुँचने के लिए भी दो रास्ते हैं। एक ऋषिकेश से श्रीनगर होते हुए कर्णप्रयाग और कर्णप्रयाग से लोहाजंग या वाण। दूसरा रास्ता अगर आप रेल मार्ग से आ रहे हैं तो काठगोदाम से ग्वालदम तक बस से और ग्वालदम से लोहाजंग या वाण। रेल मार्ग से ऋषिकेश भी पहुँच सकते हैं। ऋषिकेश से सुबह पांच बजे वाण गांव की सीधी बस सेवा भी है। वैसे एक बार कर्णप्रयाग पहुँच जाएँ तो वहां से आगे के लिए दिन के समय आसानी से जीप भी मिल जाती हैं। मैं अपनी कार से ऋषिकेश से ही होकर गया था। रास्ता अच्छा बना है, अगर आप अपनी कार या बाइक से जा रहे हैं तो सीधे वाण गाँव तक अच्छी सड़क है। काठगोदाम वाला रास्ता अभी मैंने नहीं देखा, इसलिए उसकी स्तिथि कैसी है कह नहीं सकता। वैसे काठगोदाम से भी काफी लोग वाण आसानी से पहुँचते हैं, ये दोनों रास्ते थराली में आपस में मिल जाते हैं।
शारीरिक तैयारी -
रूपकुण्ड समुद्र तल से 5000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। निश्चित रूप से इस ऊँचाई पर हवा में ऑक्सीज़न की मात्रा कम होगी। फिर वाण गाँव 2400 मीटर पर है, और हमको 5000 मीटर तक चढ़ना है, इसलिए चढ़ाई भी अच्छी खासी मिलनी तय है। मैंने कई ट्रैकर आधे से ही लौट कर आते देखे। इसलिए इस ट्रैक के लिए शारीरिक तैयारी भी बहुत जरुरी है। अगर आप 3500 मीटर तक पहले भी जा चुके हैं तो ही इस ट्रैक को कीजिये। पहली बार पहाड़ों पर जाने वालों को सीधे रूपकुण्ड से शुरुवात करने की सलाह कतई नहीं दूंगा।
कपडे -
इस ट्रैक पर काफी ऊंचाई होने के कारण ठण्ड हमेशा ही मिलेगी। चाहे आप साल के किसी भी महीने में जाएँ। गर्म कपडे अति आवश्यक होंगे। साथ ही विंड प्रूफ जैकेट बहुत जरुरी है, वैसे नार्मल जैकेट के बाहर से बरसाती पहन लें तो वो भी काम कर लेती है। खासकर कालू विनायक पहुँचते ही बर्फीली हवा सीधे शरीर को चुभती है।
रहना और खाना -
इस पूरे ट्रैक पर गैरोली पाताल, बेदिनी, पातर नाचणी और भगुवासा में वन विभाग की फाइबर हट बनी हैं। जिसमे मामूली किराया देकर आप रात को रुक सकते हैं, बस आपके पास स्लीपिंग बैग होना जरुरी है। वैसे स्लीपिंग बैग वाण गाँव से आसानी से किराये पर भी मिल जाते हैं। तापमान रात को बहुत कम होता है, इसलिए स्लीपिंग बैग अच्छी क्वालिटी का होना जरुरी है। सीजन में जगह जगह ढाबे खुले मिलेंगे, जहाँ जहाँ फाइबर हट है वहीँ ढाबे भी खुले मिल जाएंगे, इसलिए भोजन की भी कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। फाईबर हट के लिए किसी तरह की कोई बुकिंग नहीं चाहिए, आप सीधे वहीँ जाकर बात कीजिये, वैन विभाग के कर्मचारी हर जगह तैनात मिलेंगे। हाँ कुछ टॉफी और बिस्कुट साथ रख लें, चलते चलते भूख लगी तो काम आ जाएंगे।
गाइड/पोर्टर -
पूरे ट्रैक का रास्ता बहुत बढ़िया बना है इसलिए गाइड की खास जरूरत नहीं है, हाँ अगर अपना सामन खुद नहीं ढोना चाहते तो पोर्टर साथ ले सकते हैं। वाण गाँव में आसानी से मिल जाएंगे। कोई स्थानीय साथ में हो तो मन लगा रहता है, इस ट्रैक की हर जगह की अपनी कहानी नंदा देवी राज जात यात्रा से जुडी है। वहां का बच्चा बच्चा इससे अवगत है, आप भी सुनते सुनते चलिए मजा आएगा। अगर ग्रुप में हैं तो वाण गाँव से घोडा कर लीजिए, घोडा लेंगे तो घोड़े वाला भी साथ चलेगा वही आपकी आगे की सारी व्यवस्था भी करवा देगा। हम आठ लोगों का ग्रुप था, हमने भी सिर्फ एक घोडा कर लिया था।
पानी -
पानी की उपलब्धता सीमित जगहों पर ही है, जहाँ पानी मिले अपनी बोतल भर लें। वाण के बाद रणकधार, नीलगंगा, गैरोली पाताल, बेदिनी, पातर नाचणी में ही पानी है। भगुवासा में पानी की बहुत किल्लत है, और भगुवासा से आगे एक जगह नाला बहता है, लेकिन अधिकतर समय कम तापमान के कारण जम कर बर्फ ही बना मिलता है।
बिजली -
बिजली की उपलब्धता वाण गाँव तक ही है। फ़ोन, कैमरा यहीं से चार्ज करके चलिये। फ़ोन नेटवर्क सिर्फ गैरोली पाताल तक ही मिलता है। पातर नाचणी में कहीं एक कोने पर जाकर कुछ नेटवर्क मिल जाता है। ठण्ड से बैटरी जल्दी ख़त्म होती हैं, इसलिए इनको कपडे से लपेटकर रख लें।
अंत में कुछ एक छोटी छोटी बातें-
ये एक high altitude ट्रैक है, इसलिए धीरे धीरे ही चढ़ें। अक्सर कालू विनायक पर लोग ऑक्सीज़न की कमी के कारण "AMS" (उच्च पर्वतीय बीमारी) का शिकार हो जाते हैं। इसके लिए मैं एक पोस्ट पहले भी लिख चूका हूँ, उसको भी एक बार पढ़ लें तो मदद मिलेगी। दवाई आदि जरूर रख लें, आपातकाल में बहुत काम आएँगी।
और अन्त में .... रूपकुण्ड ट्रैक अपने आप में सम्पूर्ण खूबसूरती लिए हुए है। अगर हम कुछ जरुरी सावधानियों के साथ यहां जाएँ तो भरपूर आनन्द ले सकते हैं। आपकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं। आपके सवालों और सुझावों का स्वागत है।
Very informative post !
ReplyDeleteधन्यवाद महेश जी।
Deleteआपके द्वारा दी गई जानकारी सभी घुमक्कड़ मित्रों के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteअच्छी जानकारी.... ट्रेकर के काम आने वाली..
ReplyDeleteधन्यवाद
धन्यवाद रितेश भाई।
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ReplyDeleteबढ़िया जानकारी शेयर की है मित्रवर कुकरेती जी आपने ! कभी मौका मिला तो आपकी पोस्ट पढ़कर बहुत फायदा मिलेगा वहां जाने के लिए !!
धन्यवाद योगी भाई।
Deleteबहुत काम की जानकारी दी है बीनू भाई |एक छोटी सी त्रुटी की तरफ ध्यान दिलाना चाहूँगा 2105 का नहीं 2015 का यदि मैं गलत नहीं हूँ तो |बाकि बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है |
ReplyDeleteऑफ कितने ध्यान से आपने पढ़ा। इसके बाद तो कोई प्रश्न ही नहीं।
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