Sunday 15 August 2021

Trekking Gears (जूते)

Trekking Gears Part - 4

जूते (Trekking Shoes)

किसी भी ट्रैक को सुरक्षित बनाने में उसमें हमारे ट्रैकिंग गियर जो हम यूज़ करते हैं उनका सर्वाधिक योगदान होता है। मेरी नजर में जूते किसी भी ट्रैक पर हमारे सबसे भरोसेमंद साथी होते हैं। चूंकि ट्रैकिंग का मतलब ही पैदल चलना है, और इसमें पांवो का कम्फर्ट और सुरक्षित होना ही सबसे महत्वपूर्ण है। अगर पांव में किसी भी प्रकार की चोट लग जाए या मोच आ जाए तो पूरे प्लान व ट्रैक का सत्यानाश होना निश्चित है। इसलिए ट्रैक पर निकलते हुए अपने सबसे भरोसेमंद साथी का साथ में होना अति आवश्यक है। 

आइए आज चर्चा करते हैं ट्रैकिंग शूज पर....

सर्वप्रथम हमें अपनी आवश्यकताओं का स्पष्ट रूप से ज्ञान होना आवश्यक है। सीधी सी बात है कि आवश्यकता के अनुरूप ही सामान होगा तो ही आसानी होगी। कुल मिलाकर इस वर्ग को तीन रूपों में बांटा जाता है। पहला हाइकिंग, दूसरा ट्रैकिंग, और माउंटेनियरिंग। हमें इन तीनों का अंतर भी साफ साफ मालूम होना चाहिए। सीधे लफ्जों में कहूँ तो हाईकर जहां से आगे जाना छोड़ देते हैं वहां से ट्रैकर चलना शुरू करते हैं और ट्रैकर जहां से लौट आते हैं वहां से माउंटेनियर चलना शुरू करते हैं।

एक बार किसी ने मुझे पर्यटक, घुमक्कड़ और ट्रैकर में अंतर पूछा था। मैंने हंसी में इसी तरह उनको अंतर समझाया था कि पर्यटक जहां जाते हैं, वहां घुमक्कड़ नहीं जाता और घुमक्कड़ जहां नहीं जाता, वहां ट्रैकर जाता है। इसीलिए मैं व्यक्तिगत रूप से ट्रैकिंग को घुमक्कड़ी नहीं मानता, ट्रैकिंग एक अलग ही जुनून है। हार्डकोर ट्रैकर मेरी इस बात को समझेंगे, बाकी असहमत होंगे ऐसा मुझे लगता भी है। 

चलिए काम की बात करते हैं और सीधे मुद्दे पर आते हैं....

तो जी यहां हम जो भी बात करेंगे वो सिर्फ ट्रैकिंग के लिए हैं, हाइकिंग और ट्रैकिंग के अंतर को कहूँ तो छोटी सी दूरी मसलन 4-5 किलोमीटर चलना और वापिस आ जाना इसको हाइकिंग कह सकते हैं। हाइकिंग में अक्सर अच्छी ट्रेल पर आप चलेंगे, रास्ता अच्छे से मार्क होगा आदि। जबकि ट्रैकिंग में विभिन्न प्रकार की और इससे विपरीत परिस्थितियों पर आपको चलना होगा। आपको बर्फ में भी चलना होगा, कीचड़ में भी, ठोस बोल्डर जोन में भी और फिसलन भरे रास्ते पर भी। कुल मिलाकर सभी प्रकार के रास्तों पर चलना है, इसलिए जूते भी वह हों जो सबमें फिट बैठ जाएं। जबकि हाइकिंग के लिए सामान्य स्पोर्ट्स शूज भी काम आ जाते हैं, कोई पर्टिकुलर हाइकिंग शूज न भी हों तो कोई परेशानी वाली बात नहीं होती।

जूते खरीदते हुए कुछ महत्वपुर्ण बिंदु हैं जिनपर मैं बात करूंगा। सबसे पहला पॉइंट है जूते का सोल। आमतौर पर  रबर सोल वाले जूते और उनकी ग्रिप सबसे अच्छी मानी जाती है। कैसे जानें कि सोल रबड़ का है या प्लास्टिक का ? इसके लिए जूता खरीदते हुए अगर आप सोल पर अंगुलियों से ठक-ठक मारेंगे तो उससे आने वाली आवाज से आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। चूंकि प्लास्टिक सोल हार्ड होता है, उसकी आवाज थोड़ी तेज आएगी, जबकि रबर सोल नरम होने के कारण धीमी आवाज करेगा। 

दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु है सोल की ग्रिप कैसी है ? खरीदने से पहले जूते के तलुवे में बने डिजाइन को जरूर गौर से देखिए। जो भी डिजाइन बना हो उसकी और तलुवे की गहराई अच्छी होनी चाहिए, दुकान पर सामान्य स्पोर्ट्स शूज और ट्रैकिंग शूज में मिलान कर आसानी से अंतर को देखा जा सकता है। इसमें अगर तलुवों पर बने डिजाइन असामान्य आकार में हुए तो ग्रिप अच्छी मिलती है।

जूता सदैव हाई एंकल का ही खरीदना चाहिए। मतलब एड़ी से थोड़ा ऊपर तक आए। इसके लिए अपनी एड़ी से दो अंगुल ऊपर तक जूता आए वह परफेक्ट होता है। ट्रैकिंग में हाई एंकल जूता होने से आपके पांवो में मोच आने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

जूता वाटर प्रूफ हो या कम से कम वाटर रजिस्टेंस तो होना ही चाहिए। कितने घंटे लगातार भीगने के बाद भी जूते के अंदर पानी नहीं जाएगा यह उसकी डिस्क्रिप्शन में लिखा मिल जाएगा, अन्यथा जूते के बाहरी हिस्से में चमड़े की मात्रा कितनी है, इससे उसकी वाटर प्रूफिंग का अंदाजा लगाया जा सकता है। जितना अधिक चमड़ा होगा उतना अधिक वाटर प्रूफ होगा।

जूता खरीदते समय यह अवश्य चेक कर लें कि उसका वजन कितना है। ज्यादा भारी जूता न खरीदें, भारी जूता ट्रैकिंग में आफत का सबब बन जाता है।

जूता जब भी खरीदें उसको चेक करते समय यह देखें कि यह आपके पांवो पर थोड़ा ढीला ही हो। अपने सामान्य नाप से एक नंबर बड़ा लीजिये, इसका फायदा यह होता है कि बर्फ में मोटी जुराबें व कई बार दो-दो भी पहननी पड़ती है, इससे जूता पांवो पर टाइट नहीं होता।

अंत में मुख्य बात यह है कि कभी भी ट्रैक पर बिल्कुल नए जूते के साथ न जाएं, जूता जब भी खरीदें उसे पहले घर पर 15-20 दिन सामान्य रूप से पहनें। नया जूता पांवो को काट सकता है। 

मैं पिछले लेखों में कह चुका हूँ कि यदि आप लगातार ट्रैक करने वाले हैं तभी प्रॉपर वाटरप्रूफ जूतों में इन्वेस्ट करें, एक बार खरीदें लेकिन अच्छा खरीदें। यदि आपने इक्का दुक्का ट्रैक छोटे ट्रैक करने हैं तो ट्रैकिंग शूज के सस्ते ऑप्शन को चुनें, बाजार में सस्ते जूते भी आसानी से उपलब्ध हैं।

ट्रैकिंग जूतों को प्रयोग करने व इनके लेसेज को बांधने के तरीके व यदि ट्रैकिंग के दौरान जूता पांव के किसी हिस्से को अधिक दबा रहा है तो उसको कैसे एडजस्ट करें, आदि विषय पर कभी एक वीडियो बनाकर डालूँगा, जिससे आपको काफी मदद मिलेगी, ऐसी उम्मीद करता हूँ। यही कुछ बिंदु हैं जो एक परफेक्ट ट्रैकिंग शूज खरीदने में आपकी मदद करेंगे। अगले भाग में किसी अन्य ट्रैकिंग गियर पर चर्चा करेंगे। आपके प्रश्नों व सुझावों का स्वागत है।

इस वर्ष हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, इसी उपलक्ष्य में आप सभी को बधाई व ढेरों शुभकामनाएं।

भविष्य में कुछ वीडियो ट्रैकिंग गियर पर बनाऊंगा, जो आपको Go Himalaya यूट्यूब चैनल पर मिल जाएंगी, नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर चैनल को सब्सक्राइब कर लें :-

https://youtube.com/channel/UCMsXywJdPQzl1xE_CNUmcsw

To be continued......