Tuesday 27 July 2021

Trekking Gears Part 3 (स्लीपिंग बैग)

Trekking Gears Part -3 

स्लीपिंग बैग


स्लीपिंग बैग का चुनाव हिमालयी ट्रैक के लिए बेहद अहम है। यह लाइफ सेविंग इक्विपमेंट तो है ही साथ में हिमालय के सिवा अन्य जगहों पर भी समय-समय पर काम आता ही रहता है। बाजार में सस्ते से लेकर अच्छी क्वालिटी दोनों प्रकार के स्लीपिंग बैग उपलब्ध हैं। कैसे जानें कि हमको किस प्रकार का स्लीपिंग बैग चाहिए, आइए चर्चा करते हैं.....

आकार के अनुसार स्लीपिंग बैग दो प्रकार के बाजार में उपलब्ध हैं। आयताकार शेप (Rectangular) और ममी शेप (Mummy) स्लीपिंग बैग। उच्च हिमालय व कम तापमान के लिए ममी शेप स्लीपिंग बैग ही चाहिए होता है, आयताकार शेप स्लीपिंग बैग साधारण कैम्पिंग व सामान्य तापमान के लिए प्रयोग किया जाता है। जिसका कारण यह है कि स्लीपिंग बैग के अंदर जितनी कम जगह होगी वह उतनी कम हवा होने के कारण उतना ही अच्छे से गर्म रहेगा। स्लीपिंग बैग कपड़ों के जैसे ही अलग-अलग साइज़ में मिल जाते हैं, लेकिन अपने साइज़ से अधिक बड़ा स्लीपिंग बैग न खरीदें, पहले ही बता चुका हूँ कि जितनी अंदर हवा कम रहेगी उतना ही स्लीपिंग बैग अधिक गर्म रहेगा।

शेप और साइज़ की बात हम कर चुके हैं, अब बात करते हैं क्वालिटी पर.... और सस्ती क्वालिटी को छोड़कर सीधे बात करते हैं अपने काम की, जो है कि हिमालय के लिए कैसे जानें कौन सा स्लीपिंग बैग सही है।

ट्रैकिंग के गर्म कपड़े खरीदते हुए एक शब्द अक्सर आपको सुनने को मिल जाएगा "डाउन फेदर (Down Feather)", ये डाउन फेदर क्या बला है, इसको सबसे पहले जान लेते हैं। अगर ये समझ लिया तो कोई भी गर्म कपड़ा जैसे जैकेट, स्लीपिंग बैग आदि खरीदने में आसानी हो जाएगी।

आप तौर पर ट्रैकिंग या एक्सपीडिशन की जैकेट, स्लीपिंग बैग डाउन फेदर की होती हैं। मतलब बाहर से नाइलोन का कपड़ा होगा तो उसके अंदर फेदर को भरा हुआ होगा। ये बेहद गर्म और वजन में बहुत ही हल्के होते हैं। विदेशों में हंस के पंख से स्लीपिंग बैग या जैकेट बनाई जाती हैं। चीनियों ने उनकी नकल की तो उन्होंने बतख के पंख इनके अंदर भरने शुरू कर दिए जो अपेक्षाकृत सस्ते पड़ते हैं। और जुगाड़ में हम भारतीयों का कोई सानी नहीं तो हमने एक कदम और आगे बढ़कर मुर्गी के पंख इनके अंदर भर-भरकर और सस्ते में या फिर डुप्लीकेट बनाकार बेचने शुरू कर दिए।

अब आपको कैसे मालूम पड़ेगा कि स्लीपिंग बैग या जैकेट के अंदर किस चीज के पंख भरे हैं ? दिखाई तो पड़ते नहीं, क्योंकि वो तो अंदर भरे हैं। यहीं पर एक्सपीरियंस काम आता है, इसके सिवा दूसरा कोई उपाय नहीं है। हंस के पंख बेहद मुलायम होते हैं, बतख के थोड़ा कम और मुर्गी के तो आप जानते ही होंगे। नहीं जानते तो अबकी खुद से हाथ लगाकर चेक कर लीजिएगा, स्लीपिंग बैग और जैकेट की खरीददारी में काम आएगा।

अब दूसरा पॉइंट है ये डाउन क्या है ? हंस, बतख या मुर्गी के पंखों के नीचे और उनके शरीर की त्वचा के बीच में एक बारीक और बेहद मुलायम बालों की लेयर होती है, इन्ही बालों की लेयर को डाउन कहते हैं। कुछ जैकेट या स्लीपिंग बैग सिर्फ "डाउन" होंगे। सबसे अधिक महंगे यही होते हैं। इससे अगला स्टेप है "डाउन फेदर" यानी अंदर कुछ डाउन की फिलिंग है और कुछ फेदर की। किस स्लीपिंग बैग या जैकेट में कितना डाउन है और कितना फेदर इसी के अनुसार इनके दाम तय होते हैं। कई बार प्रोडक्ट की डिस्क्रिप्शन में लिखा होगा कि 90-10 की फिलिंग है, यानी 90% फेदर है और 10% डाउन है। अब ये फिलिंग हंस की है, बतख की है या मुर्गी की है ये आपको ही चेक करना होगा।

अक्सर सबको यह गलतफहमी होती है कि स्लीपिंग बैग गर्मी देता है। जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। इनका काम आपके शरीर की गर्मी को अपने अंदर से बाहर आने से रोकना भर है। जितना अधिक डाउन होगा उतना ही गर्मी रोधक होगा। इसीलिए लेख के शुरू में मैंने कहा कि हर साइज के स्लीपिंग बैग आते हैं, कोशिश कीजिये उसे लें जो आपके शरीर पर फिट हो न कि ज्यादा ढीला हो।

स्लीपिंग बैग जब भी खरीदें उसी के साथ एक कॉटन का "लाईनर" भी खरीद लेना चाहिए। इसको कुछ यूं समझिए कि सर्दियों में हम रजाई के अंदर एक पतला कम्बल भी लपेटकर सोते हैं, जिससे अच्छी गर्मी मिलती है, लाइनर भी ठीक यही काम करता है। यदि आपका स्लीपिंग बैग 5 डिग्री वाला है और आपके पास लाइनर है तो यकीन मानिए यह -5 डिग्री तक काम कर लेगा। बेहद कम तापमान वाले ट्रैक पर लाइनर बहुत ही जरूरी हो जाता है। इससे आपके स्लीपिंग बैग की क्षमता बहुत अधिक बढ़ जाती है।

बाजार में मिलने वाले स्लीपिंग बैग के दाम भी उनके किस तापमान तक को झेल पाएंगे उसी अनुसार होते हैं। जितने कम तापमान का स्लीपिंग बैग उतना ही अधिक दाम, कुल मिलाकर यह "डाउन" और "फेदर" के रेशियो के अनुसार ही होता है।

उम्मीद करता हूँ इस लेख से आपकी शंकाओं का कुछ समाधान हुआ होगा। चलते-चलते बताता चलूं की -10 डिग्री तक का स्लीपिंग बैग हिमालय के लगभग सभी ट्रैक के लिए पर्याप्त होता है।

अगले भाग में अन्य किसी ट्रैकिंग इक्विपमेंट के बारे में चर्चा करेंगे। आपके सुझाव व प्रश्नों का स्वागत है।

भविष्य में कुछ वीडियो ट्रैकिंग गियर पर बनाऊंगा, जो आपको Go Himalaya यूट्यूब चैनल पर मिल जाएंगी, नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर चैनल को सब्सक्राइब कर लें :-

https://youtube.com/channel/UCMsXywJdPQzl1xE_CNUmcsw


To be continued......

#trekking_gears

1 comment:

  1. ramta jogi ji
    aapke blog se kafi logo ko help milne wala hai. hindi blogs me jaydatar jankriya yatrya vritant pr hi hota hai.lekin aap ne un pehloowo ko bhi notice kiya ji amuman har traveler ko jaanne ki jaroort hai. maine abhi ek post hi pada hai umidd krta hoo himalayn freshness apke post se mil hi jayengi.
    love from Nagaland

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