कैलाश कुण्ड और छतरगला वापसी
रात को कैम्प में पहुँचकर सबसे पहले टेण्ट लगाया। तापमान काफी कम था, ठण्ड भी बड़े जोरों से लग रही थी। चूँकि टेण्ट मेरे पास था और मैं ही लेकर आ रहा था तो शशि भाई के पास इन्तज़ार करने के सिवाय कोई चारा नहीं था। पहुँचते ही टेण्ट लगाकर उसमें घुस गए। थकान के मारे सबकी हालत ख़राब थी। कोठारी जी को ठण्ड से झुरझुरी छूठ रही थी। जैसे ही उन्होंने इस बारे में बताया तो उनको तुरन्त बुखार की एक गोली दे दी। और उनको ये भी आगाह कर दिया कि आपको बुखार आने वाला है। पसीने वाले कपडे निकालकर गर्म कपडे पहन कर सोएं। दिन भर चलने के बाद थकान के कारण अक्सर ऐसा होता है।