Saturday 24 July 2021

ट्रैकिंग बैग या रकसैक (Rucksack)

(Trekking Gears Part 1)

दोस्तों यात्रा एक बहुत बड़ा विषय है, यात्राएं कई प्रकार से की जा सकती हैं। हर इंसान की रुचि अलग - अलग होती है, इसलिए हर एक का यात्रा करने का ढंग भी उसकी रुचि के अनुसार ही होता है। किसी को बाइक से लंबी यात्रा करनी है, किसी को परिवार के साथ, किसी को अकेले कहीं भी निकलना है तो किसी को पहाड़ चढ़ने हैं। चूंकि मेरी रुचि मानवनिर्मित स्थलों में कभी नहीं रही, इसीलिए दिल्ली में 25 वर्षों से अधिक समय से रहने के बाद भी न तो आज तक कुतुबमीनार देखा है, न लाल किला, और न ही आगरे का ताजमहल देखने गया हूँ। मुझे प्राकृतिक चीजें ही आकर्षित करती हैं इसलिए मेरे लिए यात्रा का अर्थ सिर्फ और सिर्फ हिमालय ही है।


हिमालय में यात्राएं करनी हैं तो पैदल चलना ही होगा, अन्यथा हिमालय की असल खूबसूरती से आप कभी भी परिचित नहीं हो पाएंगे। और हिमालयी यात्राएं आसान हों ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। दुर्गम पहाड़ों को लांघना, बुग्यालों में भटकना, स्वछंद विचरते हुए पशु पक्षियों को देखना, ग्लेशियरों के पार की निराली दुनिया का आकर्षण और असमान्य वातावरण में जीना ही हिमालय की यात्रा है। चूंकि हिमालय में हमारे पास जो कुछ है वह या तो प्राकृतिक है या वह है जो हम कंधे पर ढोकर साथ ले चल रहे हैं, इसी सब के भरोसे यात्रा पूर्ण करनी होती है। इसीलिए हमारे पास जो भी सामान हो वह जांचा परखा हो यह बहुत जरूरी हो जाता है। वहां इसके सिवा दूसरा कोई ऑप्शन ढूंढने से भी नहीं मिलता। तो आइए एक-एक कर चर्चा करते हैं उन सब जरूरी सामानों की जो ट्रैकिंग अर्थात हिमालयी यात्रा के लिए जरूरी हैं।


ट्रैकिंग के सामान से संबंधित एक महत्वपूर्ण बात मैं आपको बताना चाहूंगा कि अगर आपने लगातार यात्राएं करनी हैं तो ही इनमें इन्वेस्ट करें। अगर आपने सिर्फ एक या दो ट्रैक करने हैं तो आजकल किराए पर भी सामान आसानी से उपलब्ध हो जाता है। एक दो बार की यात्रा के लिए किराए पर लेना फायदेमंद रहता है, और जिनको लगातार हिमालय में ट्रैक करने हैं उनके लिए सलाह है कि वो धीरे-धीरे और एक-एक कर सामान को खरीदें, और जो भी खरीदें वह ब्रांडेड और अच्छी क्वालिटी का ही हो।


सबसे पहला नाम जो मन में आता है वो है ट्रैकिंग बैग। ऐसे तो आज के समय ट्रैकिंग गियर इतने सरल और सुलभ हो चुके हैं कि आसानी से हर छोटे बड़े शहरों में लगभग सारे उपकरण आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, अगर आपके शहर में नहीं मिलते तो ऑन लाइन हैं ही। लेकिन कुछ भी खरीदने से पहले अगर सही जानकारी के साथ यह मालूम हो कि असल मे आवश्यकता किस चीज की है तो मन मे संशय नहीं रहता। इस लेख में जो भी जानकारी दी जाएगी यह ट्रैकिंग से संबंधित ही होगी न कि किसी अन्य प्रकार की यात्रा के लिए। 


दोस्तों आज के समय में हिमालय में खूबसूरत ट्रैकों की भरमार है। हर ट्रैक के अलग अलग चैलेंज हैं, समय भी सबमें अलग-अलग लगता है। कोई ट्रैक चार दिन में पूरा हो जाएगा तो किसी को पूरा करने के लिए आठ दिन भी लगते हैं। अब चार दिन के ट्रैक और आठ दिन के ट्रैक के लिए सामान तो एक जैसा लेकर नहीं जाएंगे, इसलिए ट्रैकिंग बैग कुछ इस प्रकार का हो कि जो मल्टीपर्पज हो तो ज्यादा सही रहेगा।


आम तौर पर ट्रैकिंग बैग लीटर में आते हैं, मैं स्वंय के अनुभव से कह सकता हूँ कि 50-60 Ltr. का ट्रैकिंग बैग आठ से दस दिन के ट्रैक के लिए पर्याप्त रहता है। मैं स्वयं 50 Ltr. का ट्रैकिंग बैग प्रयोग करता हूँ। 


अब ट्रैकिंग बैग किस प्रकार का होना चाहिए :-

सबसे पहले तो मेरी सलाह यह होगी कि अगर आप पहली बार ट्रैकिंग के लिए सामान खरीद रहे हैं तो ऑन लाइन बिल्कुल भी न खरीदें। दुकान या शो रूम में जाकर अच्छे से जांचने के बाद ही सामान खरीदें। बैग का सबसे मुख्य बिंदु है कि आपके कंधे व पीठ पर पूरे लोड के साथ आप कितने कम्फर्ट हैं।


अच्छे और ब्रांडेड बैग के साथ ऐसे तो ज्यादा कुछ चेक करने की आवश्यकता नहीं होती फिर भी जानकारी के लिए बता दूं कि ट्रैकिंग बैग में चेस्ट बेल्ट और वेस्ट बेल्ट (कमर वाली बेल्ट) का होना बहुत ही जरूरी है। इसका फायदा यह होता है कि ये बैग के लोड को तीन भागों में बांट देता है। आपके कंधों पर, चेस्ट पर और कमर पर। दिन में आठ से दस घंटे तक बैग का पूरा वजन अगर सिर्फ कंधों पर रहेगा तो एक ही दिन में कंधे दर्द करने लगते हैं। 


अगर आप  ब्रांडेड कंपनी का बैग लेते हैं तो उसमें ट्रेकिंग गियर को रखने, फिट करने या लटकाने का सब जुगाड़ पहले से दिया रहता है। जैसे टैंट के लिए, मैट्रेस के लिए, पानी की बोतल के लिए, बर्फ में चल रहे तो आइस एक्स के लिए आदि आदि। 


बैग के साथ ही बैग का रेन कवर का होना भी अति आवश्यक है, इसलिए जब भी बैग खरीदें उसी के साथ उसके ही नाप का रेन कवर भी खरीद लेना चाहिए। बारिश, बर्फबारी, धूल इत्यादि से रेन कवर अच्छा बचाव करता है, इसलिए यह भी बैग के साथ जरूर होना चाहिए।


ट्रैकिंग बैग के साथ - साथ एक डे पैक भी खरीद लेना चाहिए, अमूमन डे पैक 15 Ltr. का काफी रहता है। ट्रैक पर हर वक्त आप अपना बैग नहीं खोल सकते, इसलिए ट्रैकिंग के दौरान की आवश्यक चीजों को ड़े पैक में रखकर सामने से लटका लेते हैं। जिसमे कैमरे के लेंस, चॉकलेट, दवाइयां, और जरूरी सामान रखकर चल सकते हैं। ट्रैक पर अक्सर लोग पोर्टर हायर कर लेते हैं या घोड़े पर भी अपना बैग रख लेते हैं। ऐसे में डे पैक में वो जरूरी सामान अपने पास रख सकते हैं।


स्वयं मेरे पास तीन ट्रैकिंग बैग हैं, एक 75 Ltr. एक 50 Ltr. और एक डे पैक है। मैं इन बैग्स को सिर्फ ट्रैक के लिए ही प्रयोग करता हूँ, सड़क मार्ग से की जाने वाली यात्राओं के लिए सामान्य बैग ही यूज़ करता हूँ। 


उम्मीद है आपकी शंकाओं का कुछ समाधान इस लेख के माध्यम से करने में सफलता मिली होगी, आपके कोई भी प्रश्न या सुझाव हों तो उसका स्वागत है।

भविष्य में कुछ वीडियो ट्रैकिंग गियर पर बनाऊंगा, जो आपको Go Himalaya यूट्यूब चैनल पर मिल जाएंगी, नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर चैनल को सब्सक्राइब कर लें :-

https://youtube.com/channel/UCMsXywJdPQzl1xE_CNUmcsw



To be continue.......


#trekking_gears

1 comment:

  1. रोचक। अच्छा लगा कि आप ब्लॉग में फिर सक्रिय हो गए हैं। रोचक और ज्ञानवर्धक श्रृंखला शुरू की है आपने। आभार।

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