दुगड्डा से ताड़केश्वर महादेव और आगे
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सुबह उजाला होने से पहले ही आँख खुल गई। कमरे की लाइट जलाई तो शशि भाई भी उठ गए। कमल भाई की सुबह तीन बजे तक पार्टी चल रही थी फिर भी उठ गए। रात को होटल वाले से कहा था कि सुबह छह बजे कमरे में चाय भिजवा दे। लेकिन चाय के कोई आसार नजर ही नहीं आ रहे थे। चाय का मोह छोड़ सभी फ्रेश होकर तैयार हो गए और फिर ढून्ढ कर होटल मालिक को जगाया गया। रुकने-खाने का हिसाब चुकता कर आगे बढ़ चले।