मैं स्वयं कई वर्षों से पहाड़ों पर घूमता आ रहा हूं, इसलिए मुझे किसी भी ट्रैक पर आने वाली कठिनाइयों का अंदाजा हो जाता है। इस ट्रैक में ग्रुप मेंबर की सुरक्षा में कोई भी चूक न हो इसके लिए प्रोफेशनल गाइड हमारे साथ चलेंगे। किसी भी क्षेत्र को स्थानीय निवासियों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता इसलिए स्थानीय गाइड भी अलग से हमारे साथ होंगे। अंकुश पिछले कई वर्षों से चादर ट्रैक पर आते रहे हैं, इसलिए वो ग्रुप को लीड करेंगे। पिछली रात को ही ग्रुप मीटिंग में सभी सदस्यों को चादर के बारे में व यहां आने वाली कठिनाइयों के बारे में सविस्तार समझा दिया गया। जिससे किसी के मन में किसी भी प्रकार की शंका न रहे।
सुबह नौ बजे तक नाश्ता कर सभी सदस्य चादर ट्रैक फतह करने करने के लिए तैयार हो गए। हमारा आज का लक्ष्य था सिंगरा योकमा, जो लेह से लगभग सत्तर किलोमीटर की दूरी पर है। और इस वर्ष यहीं से चादर ट्रैक की शुरुआत हो रही है। इस वर्ष कहने का तात्पर्य यह है कि पिछले कुछ वर्षों से जान्स्कर घाटी में सड़क निर्माण कार्य चल रहा है। जैसे-जैसे सड़क बनती जा रही है वैसे-वैसे चादर ट्रैक का शुरुवाती बिंदु आगे खिसकता जा रहा है। उधर पदुम से इस ओर के लिए सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है जो लगभग नेरक तक पूरा हो चुका, और इधर नीमो की ओर से शिन्गरा योकमा तक सड़क बन चुकी है। कुल मिलाकर शिंगरा योकमा से नेरक का हिस्सा जिस दिन जुड़ जाएगा उस दिन चादर ट्रैक का महत्व समाप्त हो जाएगा।
लेह से नीमो तक श्रीनगर-लेह हाईवे पर चलना होता है। लेह से बाहर निकलते ही गाड़ी रोककर जांच हुई, कितने सदस्य ट्रैक पर जा रहे हैं ? क्या सभी ने वाइल्डलाइफ फीस व बाकी की फॉर्मेलिटी पूरी की हुई हैं या नहीं आदि। जांच अधिकारी ने सन्तुष्ट होकर ही आगे जाने दिया। नीमो से कुछ पहले प्रसिद्द मैग्नेटिक हिल पड़ता है, हालाँकि हम बिना रुके सीधे आगे चल दिए। नीमो में सिंधु नदी व जांस्कर नदी का संगम होता है। यहीं नीमो से श्रीनगर
- लेह राष्ट्रीय राजमार्ग को छोड़कर जान्स्कर घाटी में प्रवेश किया जाता है। संगम का फोटो लेने के लिए यहां पर कुछ देर के लिए रुके, जांस्कर के प्रथम दर्शन करते ही उत्साह चरम पर पहुंच गया। बर्फ के टुकड़े नदी में बह कर आते हुए आगे की कहानी बयां कर रहे थे।
सिन्धु नदी एशिया की सबसे लम्बी नदियों में से एक है। तीन देश चीन, भारत और पाकिस्तान में यह नदी बहती है। सबसे ज्यादा दूरी यह पाकिस्तान में ही तय करती है। यह पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी भी है। हमारे पुराणों में भी सिन्धु नदी का जिक्र है। यूनानियों ने इसका नाम इंडस रखा और इसी से भारतवर्ष इंडिया कहलाया। जान्स्कर भी यहीं नीमो में सिन्धु नदी में मिल जाती है इसके बाद सिन्धु नदी आगे पाकिस्तान की ओर निकल जाती है।
चिलिंग से आगे बढ़ते ही जान्स्कर जमी हुई मिलनी शुरू हो जाती है। किसी समय चादर ट्रैक चिलिंग से ही शुरू होता था। लेकिन अब लगभग 30 किलोमीटर आगे तक सड़क बन चुकी है। करीब दस किलोमीटर बाद ठेठ पहाड़ी कच्चा मार्ग शुरू हो जाता है। पहाड़ी ड्राइवर ही हों जो ऐसे रास्तों पर गाडी चला सकें। बस बुलडोज़र ने रास्ता काटा और इन्होने उसी पर गाडी दौडानी शुरू कर दी। हमारे आगे पीछे भी गाड़ियों की खूब लम्बी लाइन लगी हुई थी। इससे अंदाजा लग रहा था कि चादर ट्रैक पर खूब बड़ा मेला लगा मिलने वाला है।
दिन के एक बजे सिंगरा योकमा पहुँच गए। अभी सड़क निर्माण कार्य यहीं तक पहुंचा इसलिए इससे आगे अब ट्रैक करके ही जाना होगा। सबसे पहले कैम्प लगाने की जगह का चुनाव किया, नदी तट पर एक सुरक्षित जगह में टेंट लगाकर कैम्प साईट तैयार कर ली गयी। सभी सदस्य यहाँ पहुंचकर अति उत्साहित थे। जिस चादर ट्रैक के लिए कई वर्षो से सपने संजोये थे आखिर आज वो पूरा हुआ। आज चादर पर पहली बार चलूँगा।
दिन का भोजन करने के उपरांत ग्रुप के सभी सदस्यों के साथ चादर पर चलने का अभ्यास करने कुछ दूर तक चले गए। अंकुश ने सभी को अच्छे से समझाया व् यहाँ चलने के तरीके बताये। चादर ट्रैक पर फिसल कर गिरना आम है। कैसे चोट लगने से स्वयं को सुरक्षित किया जाए इसके लिए गिरने का भी तरीका होता है। फिर जमी हुई ठोस बर्फ में अगर आप फिसल कर गिर गए हो तो जब तक कोई सहारा न मिले आप आसानी से वापिस खड़े भी नहीं हो सकते। ट्रैक पर किसी समय यदि हम अकेले पड गए और फिसलकर गिर गए तो सहारा देकर उठाने वाला भी कोई नहीं होगा। उस परिस्थिति में आप स्वयं कैसे खड़े होंगे। यही सब विधि सभी सदस्यों को समझाई गयी।
कुछ देर उपरांत सभी को चादर पर मस्ती करने व दो टीमों में बांटकर फुटबाल खेलने छोड़ दिया गया। यहाँ फुटबाल का कार्य एक छोटे पत्थर के टुकड़े ने किया। करीब एक घंटे की मस्ती में सभी सदस्य चार छह बार तो फिसल कर गिरे ही। इससे कल से चादर पर फिसलने व फिसलकर उठने का अच्छा अभ्यास सभी को हो गया। सूरज ढलने से पहले सभी सदस्य वापिस कैम्प साईट पर आ गए।
ठण्ड का बताने की आवश्यकता नहीं है कि लेह में अगर दिन के समय तापमान माइनस चौदह-पंद्रह है तो सिंगरा योकमा में दिन का औसत तापमान माइनस अठारह से बीस तक आसानी से मिलता है। जैसे ही शाम होती है तो यह गिरकर माइनस पच्चीस तक भी पहुँच जाता है। अगर इतने कम तापमान में शरीर को गर्म रखे रखना है तो सबसे अच्छा है की कुछ न कुछ एक्टिविटी करते रहना चाहिए। एक जगह बैठे रहने से ठण्ड और भी ज्यादा लगती है। आज से सभी सदस्यों के लिए रूटीन कार्य दे दिया गया कि अगर रात को आग सेकनी है तो लकड़ियाँ सभी को मिलकर ढूँढने जाना होगा।
लद्दाख मरुस्थलीय क्षेत्र है। यहाँ वन सम्पदा बहुत ही कम मात्रा में पायी जाती है। इसलिए यहाँ लकड़ियों का अकाल सा ही पड़ा रहता है। ऐसे में नदी के साथ बहकर आये तिनकों को इकठ्ठा कर आग जलाने की व्यवस्था करनी होती है। हालांकि हमारे सपोर्टिंग स्टाफ के सदस्यों से हमने अनुरोध कर दिया था कि वो शाम के लिए लकड़ियों का प्रबंध कर दिया करें। जैसे ही अँधेरा छाना शुरू हुआ आग जलाकर सभी सदस्य उसके चारों ओर बैठ गए व अन्ताक्षरी आदि के साथ मनोरंजन करने लगे। हिमालय के दूरस्थ में अब अगले कुछ दिनों तक यही हमारा परिवार और यही सब परिवार के सदस्य थे। आपस में हंसी ठिठोली करते हुए आज के दिन को यहीं विराम देते हैं। कल से असली चादर पर चलना शुरू करना है। कल चलेंगे शिन्गरा योकमा से ग्याल्पो तक, साथ बने रहिएगा।
बहुत खूब, मजा आ रहा है और ठंड भी लग रही है।
ReplyDeleteधन्यवाद ललित सर
Deleteशानदार पोस्ट। बेहतरीन तसवीरें👌
ReplyDeleteबहुत खूब, मजा आ रहा है
Deleteधन्यवाद ओम भाई और शुक्ला जी।
Deleteबेहतरीन लेखन मजा आ गया।
ReplyDeleteधन्यवाद मिश्रा जी
Deleteबहुत सुन्दर विवरण
ReplyDeleteधन्यवाद चौधरी जी
Deleteसुंदर चित्रण
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteचित्र ओर विवरण रोमांचक
ReplyDeleteधन्यवाद पाटिल साहब
Deleteसपनों जैसे चादर ट्रेक को पढ़कर मजा आ रहा है ! शानदार वृतांत
ReplyDeleteधन्यवाद योगी भाई
Deleteबहुत मजेदार और जानदार
ReplyDeleteधन्यवाद वीरेंद्र भाई
Deleteशानदार वर्णन मजा आ रहा ह चलते रहो
ReplyDeleteधन्यवाद शर्मा जी
Deleteदादा, चरण स्पर्श ! अप्रतिम यात्रा वृत्रांत , पर याहं तू कमजोर लाग्नु छै ... दीपक नैथानी
ReplyDeleteलोगों तेइ बींगै दींनी की पहाड़ो मा मस्ती ता ठीक च पर गन्दगी ना मचाए , कण्डली चबोड़ दीन .... दीपक नैथानी
ReplyDeleteशानदार बिनु भाई,
ReplyDeleteमजा आ गया पूरा यात्रा वृतांत पढ़ कर,
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर विवरण शानदार वृतांत
ReplyDeleteवाह मजा आ गया पोस्ट पढ़कर ओर मस्ती देखकर भी......आगे बढ़ो
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