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Monday, 21 November 2016

जम्मू-कश्मीर यात्रा:- बनी-बशोली-दुनेरा-पठानकोट और वापसी

बनी से बशोली-दुनेरा-पठानकोट और दिल्ली वापसी

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रात को सोते समय रमेश भाई जी ने कह दिया था कि सुबह ठीक सात बजे तक निकल लेंगे। उनको बशोली से उधमपुर पहुँचने के लिए 140 किलोमीटर की दूरी अकेले तय करनी थी और रात को अँधेरे में ड्राइविंग करने में उनको दिक्कत होती है। बशोली से रमेश जी हम सभी को अलविदा कहकर अपने घर उधमपुर वापिस चले जाएंगे। अगर देरी से निकलते तो पूरी सम्भावना थी कि उनको उधमपुर पहुँचने से पहले अँधेरा हो जाता।

Sunday, 6 November 2016

जम्मू-कश्मीर यात्रा:- छतरगला से बनी (खूबसूरत सरथल घाटी)

छतरगला से बनी (खूबसूरत सरथल घाटी)

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तीन बजे के लगभग कोठारी जी के पहुँचते ही हम सरथल घाटी की ओर निकल पड़े। कल से अभी तक इक्का-दुक्का ही स्थानीय लोग मिले थे, उनसे आगे इस सड़क के बारे में जानकारी ली थी तो मालूम पड़ा कि छतरगला से बनी तक रास्ता ठीक ही है। सभी ने बताया कि कुछ किलोमीटर आगे तक कच्ची सड़क है, फिर आगे पक्की बनी हुई सड़क मिलेगी। मैं जब भी अपने वाहन से घूमने निकालता हूँ तो प्राथमिकता होती है कि ज्यादा से ज्यादा नए रास्तों को देख लिया जाए। इसी वजह से कोशिश यही रहती है कि एक ओर से जाकर दूसरी ओर से वापसी की जाए। हालाँकि इस बार कैलाश कुण्ड यात्रा का कार्यक्रम आनन-फानन में ही बना था, एक सप्ताह पहले तक इस प्रकार से सीधे जम्मू-कश्मीर राज्य में घूमने का कोई भी इरादा नहीं था, इसलिए ये भी पहले से तय नहीं था कि हमारी वापसी किधर से होगी।भदरवाह पहुँचने के बाद रमेश भाई जी को मना लिया कि वापसी सरथल घाटी देखते हुए बनी होकर करेंगे। बस इससे फर्क इतना पड़ता कि रमेश जी को हम सभी से बशोली से उधमपुर तक करीब १२० किलोमीटर की दूरी अकेले तय करनी पड़ती। जबकि हम वशोली से दुनेरा होते हुए पठानकोट की बस लेकर दिल्ली के लिए निकल जाते। रमेश जी ने हम सभी की इच्छा का सम्मान करते हुए भी हामी भर दी थी।