Saturday 17 March 2018

चादर ट्रैक (भाग -3) - शिंगरा योकमा से ग्याल्पो

शिन्गरा योकमा से ग्याल्पो

दिनांक : 15-1-2018
मुंह पर कुछ ठंडा-ठंडा सा लगा तो आंख खुल गई, हाथ लगाकर देखा तो स्लीपिंग बैग पर बर्फ जमी हुई थी। झाड़ कर साफ़ करने की कोशिश की तो कोशिश बेकार चली गई। इस कोशिश में थोड़ा सा टेंट हिल गया, धड धड़ा धड ऊपर से बर्फ मुंह पर आ गिरी। पूरी रात हमारी सांसों से निकली ऊष्मा बर्फ में तब्दील होती गई व मुंह के आस-पास, स्लीपिंग बैग और सर में पहनी टोपी पर जम गई। जो कुछ बची वो टेंट की छत पर अंदर की ओर से भी जम चुकी थी। हल्का सा भी टेंट हिलता तो सीधे मुंह पर आकर गिरती। कुल मिलाकर चादर पर अगर कोई उठने में लेट लतीफी करे तो उसका इलाज मालूम पड़ गया, टेंट हल्का सा हिला दो, खुद ब खुद उठ जाएगा, आज यह ज्ञान प्राप्त हुआ।

Thursday 8 March 2018

चादर ट्रैक (भाग 2) - लेह से शिन्गरा योकमा

दिनांक - 14/1/2018
लेह से शिन्गरा योकमा

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चादर ट्रैक को अक्सर लोग "फन ट्रैक" समझ कर हल्के में लेते हैं। मैंने भी जितना इस ट्रैक के बारे में पढ़ा सुना था उसका आशार यही निकलता था कि यह तो आसान ट्रैक है। मेरा मानना है कि प्रकृति की बनाई किसी भी सरंचना को कभी भी हल्के में लेने की गल्ती नहीं करनी चाहिए। प्रकृति के प्रति सम्मान भाव सदैव रखना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से चादर ट्रैक पर दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसका कारण यही है, इस ट्रैक को हल्के में लेने की गल्ती करना। 


Sunday 4 March 2018

चादर ट्रैक - भाग 1

चादर ट्रैक (14 Jan - 20 Jan 2018)



पिछले काफी समय से ब्लॉग की ओर ध्यान नहीं दे पा रहा था, कारण गो हिमालया अपने शुरुआती दौर से गुजर रहा है तो सारा समय उसी ओर ध्यान लगा रहता है। अभी ब्लॉग पर पंवाली ट्रैक के साथ की गई बाकी यात्रा को भी पूरा नहीं किया है, पन्वाली के बाद टिहरी के चमियाला के निकट "बूढ़ा केदार" घूम कर लंबगांव व सेम मुखेम की ओर निकले। इसके बाद नचिकेता ताल देखते हुए उत्तरकाशी से रैंथल गांव जा पहुंचे। रेंथल से एक ही दिन में दयारा बुग्याल ट्रैक कर वापिस उत्तरकाशी भी आ गए थे। समय मिलते ही उस यात्रा को भी आगे बढ़ा दिया जाएगा। इस ट्रैक के बाद भी कई ट्रैक किए लेकिन अभी हाल ही में किए चादर ट्रैक को ही लिखने का मन किया। बाकी ट्रैक ब्लाग पर भविष्य में आते रहेंगे।