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दिल्ली से देहरादून
डोडीताल, पता नहीं क्यों ये नाम हमेशा ही मुझे अपनी ओर आकर्षित करता था। जनवरी में जब चोपता - तुंगनाथ का बर्फीला ट्रैक किया था तो बर्फ से त्रिप्ती सी हो गयी थी, तभी सोच लिया था कि अगली बार ऐसा ट्रैक् करना है, जहाँ बर्फ की बजाय प्राकृतिक सुन्दरता हो, जंगल हो, जानवर हों, पक्षी हों, जहाँ आराम से जमीन पर बैठ कर प्रकृति की सुन्दरता को निहार सकूँ, नर्म हरी घास पे लेट सकूँ, ये सब बर्फ वाले ट्रैक पर सम्भव नहीं था। डोडीताल बहुत समय से मन में था लेकिन कभी जाना नहीं हो पाया, ज्यादा दिमाग नहीं दौड़ाना पड़ा और डोडीताल फाइनल हो गया। अब छुट्टियां तलाशनी शुरू कर दी, मैं जब भी ट्रैक की प्लानिंग करता हूँ तो शुक्रवार रात को दिल्ली से निकलने की सोचता हूँ, जिससे शनिवार और रविवार का अच्छा उपयोग हो जाये, और किस्मत से अगर सोमवार या मंगलवार की कोई सरकारी छुट्टी भी हो तो फिर तो सोने पे सुहागा।
दिल्ली से देहरादून
डोडीताल, पता नहीं क्यों ये नाम हमेशा ही मुझे अपनी ओर आकर्षित करता था। जनवरी में जब चोपता - तुंगनाथ का बर्फीला ट्रैक किया था तो बर्फ से त्रिप्ती सी हो गयी थी, तभी सोच लिया था कि अगली बार ऐसा ट्रैक् करना है, जहाँ बर्फ की बजाय प्राकृतिक सुन्दरता हो, जंगल हो, जानवर हों, पक्षी हों, जहाँ आराम से जमीन पर बैठ कर प्रकृति की सुन्दरता को निहार सकूँ, नर्म हरी घास पे लेट सकूँ, ये सब बर्फ वाले ट्रैक पर सम्भव नहीं था। डोडीताल बहुत समय से मन में था लेकिन कभी जाना नहीं हो पाया, ज्यादा दिमाग नहीं दौड़ाना पड़ा और डोडीताल फाइनल हो गया। अब छुट्टियां तलाशनी शुरू कर दी, मैं जब भी ट्रैक की प्लानिंग करता हूँ तो शुक्रवार रात को दिल्ली से निकलने की सोचता हूँ, जिससे शनिवार और रविवार का अच्छा उपयोग हो जाये, और किस्मत से अगर सोमवार या मंगलवार की कोई सरकारी छुट्टी भी हो तो फिर तो सोने पे सुहागा।