एक हिमालय प्रेमी होने के नाते मैं हिमालय को हमेशा इज़्ज़त की नजर से देखता हूँ। मुझे कई मित्र फेसबुक पर या व्हाटस एप्प पर पूछते रहते हैं कि, हम इस बार बर्फ के ट्रैक् पर जा रहे हैं, हमको क्या क्या सामान लेना चाहिए ? जूते कौन से लूँ ? टेण्ट बर्फ में लगाना चाहिए या नहीं आदि। मुझे वो समय याद करके आज भी हंसी आती है, जब पहली बार बर्फ में ट्रैकिंग करने जाना था, इंटरनेट पर जो भी पढ़ता वैसी शौपिंग कर लेता। बाद में वो शौपिंग किसी काम नहीं आई। और कुल शौपिंग का ख़र्चा ट्रैक के खर्चे से 4 गुना ज्यादा हो गया। इसलिए जो कुछ भी तैयारी की जाए, सोच समझकर करी जाए तो ज्यादा सही रहता है। I
अपने अनुभव आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ। जिससे आप कहीं भी बर्फ में जाएँ तो बजाय कि, प्रकृति की सुंदरता का आनंद उठाने के, एक छोटी सी कमी या गलती की वजह से पूरे ट्रैक का कबाड़ा ना हो। इसलिए इन छोटी छोटी बातों को ध्यान में रखते हुये अगर ट्रैकिंग पर जाएँ तो पूरी तरह से प्रकृति की सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है।
हमको कभी भी पहाड़ों को हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए, ये सबसे बड़ी भूल होती है। हम सभी पहाड़ों के सामने एक तिनके के समान हैं। जब भी पहाड़ों पर जाएँ वहां के अनुरूप खुद को ढाल लें अन्यथा हम वहां टिक ही नहीं पाएंगे। ये विषय बर्फ के ट्रैक के लिए है, तो कोशिश है कि उसी से संभन्दित बातें करूँ, अन्यथा ट्रैकिंग अपने आप में बहुत ही बड़ा विषय है एक छोटी सी पोस्ट में उसको समाया ही नहीं जा सकता। इस पोस्ट में जो भी जानकारी में दे रहा हूँ ये 4000 मीटर तक की ऊंचाई के बर्फ वाले ट्रैक के मेरे अनुभव पर आधारित हैं, इन सब बातों को इससे ज्यादा ऊँची जगहों पर जाने के लिये ना आजमाएं।
1. ट्रैक् का चुनाव - बर्फ के ट्रैक अमूमन दिसम्बर माह से शुरू होकर फरवरी अंत तक किये जाते है। हालांकि नवम्बर महीने से ही हिमालय के 3000 मीटर ऊँची चोटियों पर बर्फ गिरनी शुरू हो जाती है, फिर भी ट्रेकर अक्सर दिसम्बर-जनवरी में ही बर्फ के ट्रैक पर जाना ज्यादा पसंद करते हैं। अगर आप पहली बार बर्फ के ट्रैक पर जा रहे हैं तो कोशिस कीजिये कि 2500-3000 मीटर से ज्यादा ऊँची जगह का चुनाव ना करें। गूगल पर सर्च कीजिये बहुत सारे ट्रैक मिल जाएंगे। किसी भी यात्रा वृतान्त को पढ़कर या इंटरनेट पर कोई अच्छी सी तस्वीर देखकर या ट्रैकिंग बिज़नेस करने वाली कंपनियों के लोक लुभावन ऑफर्स की वजह से ट्रैक का चुनाव नहीं करना चाहिए। एक बार ट्रैक फाइनल हो जाये तो फिर उस ट्रैक की जानकारी जुटाना शुरू कीजिये। इंटरनेट पर बहुत जानकारी मिल जायेगी। ज्यादा से ज्यादा यात्रा वृतान्त उस ट्रैक के बारे में पढ़िए। यात्रा वृतान्त इसलिए कि जिसने भी वो लिखा होगा अपना अनुभव ही लिखा होगा, इससे बहुत मदद मिल जाती है। अगर लेखक ने अपनी e mail ID दी है तो बेझिझक उनसे पूछिये, जो भी पूछना हो। जिस किसी भी तरह से जानकारी जुटा पायें जुटा लेना चाहिये।
2.पहनावा - कपडे बर्फ के ट्रैक में बहुत ही अहम् भूमिका निभाते हैं। चाहे एक जोड़ी ही कपडे रखे जाएँ लेकिन वो रखे जाएँ जो काम आयें। ज्यादा रखकर कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि कहीं भी नहाना तो नसीब होना नहीं है। शरीर को सर्द हवा से बचाना, भीगने से बचाना मुख्यतः ये प्रमुख कारण हैं जिनके लिए कपडे भी वैसे ही चाहिए जो वहां का तापमान झेल लें। सबसे पहले इनर वियर - गर्म सूती इनर वियर की आवश्यकता होती है। अच्छी क्वालिटी के इनर वियर आजकल आसानी से मिल जाते हैं। गर्म फ़्लीस काम क़ी होती हैं, एक अच्छी गर्म जैकेट, अगर जैकेट वाटरप्रूफ़ और विंडप्रूफ हो तो ज्यादा अच्छा है। सबसे जरुरी अगर जैकेट वाटरप्रूफ़ नहीं है तो अच्छी क्वालिटी का रेन कोट अपर और लोअर रख लें जो कि बर्फ में चलने पर और बर्फ़बारी दोनों में सहायक होगा। गर्म टोपी, मफलर, गर्म दस्ताने आदि महत्वपूर्ण साबित होंगे।
3.जूते - स्नो ट्रैक में सबसे महत्वपूर्ण है जूतों का चयन। अगर आपने गलत जूते पहन लिए तो यकीन मानिये आप 2 घण्टे से ज्यादा बर्फ में टिक नहीं सकते। आपने अपने पूरे ट्रैक का कबाड़ा कर दिया ये निश्चित है। इसलिए जूतों का चयन बहुत सोच समझकर करना चाहिए। आज तो बाजार में काफी जूते मिलने लगे हैं, जैसे आपका बजट वैसे जूते। वैसे तो सबसे अच्छा होता है कि आप वाटरप्रूफ़ जूते लें जिनकी ग्रिप भी अच्छी हो। ग्रिप से मतलब जूते के तलवों की जमीन या बर्फ में पकड़। रबर के तलवों की ग्रिप अक्सर अच्छी मानी जाती है। अगर आप अक्सर ट्रैक पर निकलने की सोच रहे हैं तो मेरी सलाह होगी अच्छी क्वालिटी के जूतों में एक बार इन्वेस्ट कर लेना चाहिए। जो कि 4000 रुपये से 10000 रुपये तक भी आते हैं। लेकिन अगर आप सिर्फ इस बार ही जा रहे हैं तो अच्छी ग्रिप वाले स्पोर्ट्स शूज ले लीजिये, अगर हाई एंकल के हों तो ज्यादा अच्छा है। अब ये स्पोटर्स शूज वाटरप्रूफ़ तो होंगे नहीं तो इसका सस्ता जुगाड़ ये है कि अपने जुराबों के बाहर से पॉलीथिन को पहन लें उसके बाहर से जूते पहन लें। रात को जब भी आग के नजदीक बेठें तो जूतों को सुखा लेना चाहिये। अगर जूते नये लिए हैं तो कम से कम उनको 1 महीने से पहन के चलने की प्रैक्टिस कर लेनी चाहिए, जिस से ट्रैक पर जूते पांव को काटें नहीं। 2 जोड़ी गर्म उनी जुराबें अंदर से पहननी पड़ सकती हैं इसलिए जूते का साइज़ अगर अपने पांव के नार्मल साइज़ से 1 नंबर बड़ा हो तो ज्यादा अच्छा होता है। वैसे बाजार में ऐक स्प्रे भी मिलता है, जिसको जूतों पर लगाने से पानी को अंदर घुसने से रोका जा सकता है लेकिन मैंने कभी भी प्रयोग नहीं किया तो उसकी प्रमाणिकता कितनी है ये कह नहीं सकता।
4.टेण्ट और स्लीपिंग बैग - बर्फ के ट्रैक का एक और महत्वपूर्ण संयंत्र, आखिर दिन के 24 घण्टों में से सबसे ज्यादा समय इन्ही के अंदर बिताना होता है, और वो समय जब तापमान सबसे कम होगा। इसलिए टेण्ट और इससे जुड़ा सामान बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। वैसे तो लगभग सभी टेण्ट वाटरप्रूफ़ और विंडप्रूफ ही होते हैं इसलिए ये स्वेच्छा से बजट के अनुरूप ले सकते हैं। जितना ज्यादा पैसा ख़र्च उतना ही हल्का और मजबूत टेण्ट। मजबूत से मतलब टेण्ट की रॉड। क्योंकि अक्सर भारी बर्फ़बारी से वो टूट जाती हैं। नहीं तो बर्फ़बारी में बार बार उठकर टेण्ट को हिलाकर बर्फ नीचे गिरानी पड़ती है जिससे टेण्ट के ऊपर बर्फ का भार ज्यादा ना पड़े। स्लीपिंग बैग भी बहुत ही महत्वपूर्ण यंत्र है, अच्छा होगा कि माइनस तापमान वाला स्लीपिंग बैग हो तो रात आराम से कट सकती है। इसलिए स्लीपिंग बैग अच्छी क्वालिटी का होना बहुत जरुरी है। रात को अक्सर तापमान माइनस में ही होता है। अगर स्लीपिंग बैग के अंदर लाइनर भी साथ में हो तो ठीक है अन्यथा एक गर्म शाल को अंदर से लपेट कर भी सोया जाए तो कारगर साबित हो जाता है।
5.बेक पैक - जहाँ बर्फ में खुद ही खाली चलना मुश्किल हो जाता है ऐसे में कन्धों पर बैग, स्लीपिंग बैग, टेण्ट, मैट्रेस के साथ चलना इसको और मुश्किल बना देता है। कोशिस कीजिये कि इन सबका वजन 10 किलो से ज्यादा न हो। बैग अगर वाटरप्रूफ़ है तो अच्छा नहीं तो रेन कवर ले लेना चाहिए, अगर रेन कवर भी नहीं है तो एक बड़ी पन्नी बैग में जरूर होनी चाहिए जिससे बर्फ या बारिश के समय बैग को भीगने से बचाया जा सके।
6.जरुरी सामग्री - टॉर्च, लाइटर, दवाइयाँ, टॉयलेट पेपर, मूव, सन क्रीम, धूप के चश्मे (UV Protected) आदि महत्वपूर्ण सामग्री हैं जो जरुरी हैं।
कुछ एक छोटी छोटी बातें और हैं, जैसे कितनी भी अच्छी ग्रिप के जूते हों बर्फ में चलते चलते उनके तलवो में ठोस बर्फ जमने लगती है। एक छोटा लकड़ी का टुकड़ा जेब में रख लें और समय समय पर खुरच कर बर्फ हटा लेनी चाहिये।
रात के समय टोर्च को अपने पास ही रखें। अगर रात को टेण्ट से बाहर निकलने की आवश्यकता पड़े तो पहले कुछ आवाजें निकल लें, फिर हल्का सा टेण्ट खोल कर टोर्च की रौशनी इधर उधर मारकर ही निकलना चाहिये।
अगर रात को पांव में 2 जोड़ी ऊनी जुराबें पहन कर सोयेंगे तो ठण्ड कम लगती है।
बजाय की बाजार से खरीदी स्वेटर के घर की बुनी हुयी अच्छी ऊन की स्वेटर ज्यादा कारगर होती है, जंगलों में आपका फैशन देखने का समय किसी के पास नहीं होता, तो बजाय फैशनेबल बनने के वो पहनना चाहिए जो कारगर हो।
एक अपना आईडेंटिटी कार्ड भी साथ रख लेना चाहिए, कई जगह काम आता है।
और आखिरी बात हिमालय को आप अपने अनुरूप नहीं ढाल सकते, बेहतर होता है खुद को हिमालय के अनुरूप ढाल लेना चाहिए। आपके सुझाव, प्रश्नों का स्वागत है। खूब घूमिये लेकिन सुरक्षित घूमिये।
कुछ एक छोटी छोटी बातें और हैं, जैसे कितनी भी अच्छी ग्रिप के जूते हों बर्फ में चलते चलते उनके तलवो में ठोस बर्फ जमने लगती है। एक छोटा लकड़ी का टुकड़ा जेब में रख लें और समय समय पर खुरच कर बर्फ हटा लेनी चाहिये।
रात के समय टोर्च को अपने पास ही रखें। अगर रात को टेण्ट से बाहर निकलने की आवश्यकता पड़े तो पहले कुछ आवाजें निकल लें, फिर हल्का सा टेण्ट खोल कर टोर्च की रौशनी इधर उधर मारकर ही निकलना चाहिये।
अगर रात को पांव में 2 जोड़ी ऊनी जुराबें पहन कर सोयेंगे तो ठण्ड कम लगती है।
बजाय की बाजार से खरीदी स्वेटर के घर की बुनी हुयी अच्छी ऊन की स्वेटर ज्यादा कारगर होती है, जंगलों में आपका फैशन देखने का समय किसी के पास नहीं होता, तो बजाय फैशनेबल बनने के वो पहनना चाहिए जो कारगर हो।
एक अपना आईडेंटिटी कार्ड भी साथ रख लेना चाहिए, कई जगह काम आता है।
और आखिरी बात हिमालय को आप अपने अनुरूप नहीं ढाल सकते, बेहतर होता है खुद को हिमालय के अनुरूप ढाल लेना चाहिए। आपके सुझाव, प्रश्नों का स्वागत है। खूब घूमिये लेकिन सुरक्षित घूमिये।
शानदार लेख और बहुत अच्छी जानकारी !
ReplyDeleteधन्यवाद प्रदीप भाई।
DeleteToo informative,experience speeks ☺
ReplyDeleteधन्यवाद् हर्षिता जी। :)
DeleteVery informative post.
ReplyDeleteधन्यवाद सेमवाल जी।
Deleteशानदार लेख बीनू जी ! बहुत ही काम की बातें आपने अपने लेख में बताई हैं ! उपयोगी ! अगर किसी किसी चीज का ब्रांड भी लिखते तो और भी बेहतर होता जैसे फलां फलां कम्पनी के जूते ठीक हैं ! बहुत ही उपयोगी पोस्ट
ReplyDeleteयोगी भाई ब्रांड लिखना ठीक नहीं है। एक से बढ़कर एक हैं। फिर मेरे लिए ब्रांड महत्वपूर्ण नहीं है, वो काम की वस्तु है भी या नहीं वो ज्यादा महत्वपूर्ण है। शायद मेरे कहने का अर्थ समझ गए होंगे। धन्यवाद भाई।
Deleteवाह जी वाह! आप तो एक संपूर्ण गाइड है पर्वतारोहण के! गजब!
ReplyDeleteगाइड तो नहीं हूँ सर, बस जो सीख मिली वो शेयर कर दिया। धन्यवाद। :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है बीनू भाई... अपना अनुभव ही लिख दिया... शानदार...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद नीरज भाई.
Deleteबीनू जी
ReplyDeleteट्रेकिंग के बारे महत्वपूर्ण देने के लिए धन्यवाद | पोस्ट में अच्छे लिखा है आप सावधानियां और क्या नहीं करना चाहिए ....|
एक अच्छी पोस्ट के लिए शुभकामनाये |
बहुत बहुत धन्यवाद रितेश भाई.
DeleteVery Nice article. Very very informative. Good going Beenu ji. I Wish A Very Good Luck for Your Blogging & Travelling.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद कुलवंत जी।
Deleteबीनू जी बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी आपने।
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन भाई।
Deleteभाई बीनू ज़बरदसत जानकारी ।ये सब के काम आने वाली है।
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन भाई।
Deleteboht badiya!!
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteपूरा नक्शा छाप दिए हैं भाई जी ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
धन्यवाद संजय भाई।
Deleteबहुत बढ़िया जानकारी |एक विशेषज्ञ भी शायद ही ऐसी जानकारी दे पाए बीनू भाई |
ReplyDeleteधन्यवाद रूपेश भाई।
Deleteजूते को waterproof करने का एक और उपाय है, उसके ऊपर मोम घिसकर हल्का सा हेयर ड्रायर चला दो. मोम पिघलकर सेट हो जायेगा और waterproof का काम करेगा.
ReplyDeleteधन्यवाद प्रकाश जी।
DeleteVery nice information beenu bhai... Thanxxx a lot sir...
ReplyDeleteधन्यवाद नेगी जी।
Deleteबहुत अच्छी जानकारी बीनू भाई जी अगर सभी ब्लॉगर्स आपकी तरह अपना अनुभव शेयर करे तो कोई न कोई तो बर्फ ट्रैक मैं होने वाली परेशानियों से बच सकते है
ReplyDeleteबहुत अच्छी बातें शेयर की है आपने
धन्यवाद उमेश भाई।
Deleteधन्यवाद बहुत आवश्यक जानकारी मिल गई .....जाने का मन बहुत है स्नो ट्रैक पर
ReplyDelete26 जनवरी को हर वर्ष मेरा स्नो ट्रैक प्लान रहता है।
Deleteबहुत बढ़िया, यह पोस्ट नए ट्रेकर्स का मार्गदर्शन करेगी।
ReplyDeleteधन्यवाद ललित सर।
Deleteअच्छी जानकारी शुक्रिया बीनू भाई।
ReplyDeleteआपने इसे लिखा तो 2015 में था लेकिन हमने आज पढ़ा , बहुत अच्छी जानकारी दी
ReplyDeleteबहुत अच्छे सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई
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