महत्वपूर्ण सामग्री- ट्रैकिंग किट के लिए
वैसे तो हर इंसान की जरूरतें अलग-अलग होती हैं, लेकिन घुमक्कडी और विशेष रूप से ट्रैकिंग में कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिनको कई बार हम ख़ास महत्त्व नहीं देते। लेकिन मेरा मानना है कि एक ट्रैकर के पास ये सामान अवश्य ही उसके ट्रैकिंग बैग या किट में होने चाहिए।
ये लेख सिर्फ मेरे खुद के अनुभव के आधार पर है। इसलिए जरुरी नहीं कि सभी ट्रैकर मेरी बातों से सहमत ही हों। ये आपके खुद के विवेक पर छोड़ देते हैं कि आपको किस बात को मानना है और किस बात को नहीं। मैं कुछ छोठे-मोठे सामान के बारे मैं और उनके प्रयोग के बारे में बता रहा हूँ, जो मैं खुद करता हूँ। और कीमत भी इनकी कुछ खास नहीं है।
टॉर्च (Torche) :- टॉर्च एक ट्रैकर की किट में हमेशा होनी चाहिए। सामान्य टॉर्च आजकल पचास रुपये से सौ रुपये की आसानी से मिल जाती है। मेरे पास 70 रुपये वाली टॉर्च है, जो कि मेरी पिछले दो साल से हर यात्रा और ट्रैक पर साथ चलती है। दो पेंसिल सेल लगते हैं, आज तक उनको बदलने की भी जरुरत नहीं पड़ी। टॉर्च कई रूप में काम आती है। कई बार ट्रैकिंग में रात्रि निवास के लिए निश्चित किए स्थान तक पहुँचने में देरी हो जाती है। ये रास्ते हमारे लिए अनजान ही होते हैं, ऐसे में टॉर्च बड़ी सहायक सिद्ध होती है। कई बार जंगल के बीच से अँधेरे में गुजरना पड़ता है तो जंगली जानवर हमेशा उजाले से दूर ही रहते हैं। सुदूर पहाड़ों में अगर रात को टॉयलेट इत्यादि भी जाना है तो अनजान जगह में ठोकर इत्यादि लगने से टॉर्च ही बचाती है। टेण्ट लगाकर सुनसान जगह में रुके हैं और बाहर किसी जानवर की हलचल सुनाई देती है तो टॉर्च की रौशनी से जानवर दूर चले जाते हैं। कुल मिलाकर पचास रुपये का यह सामान बहुत ही कारगर सुरक्षा देता है।
गमछा - कई मित्र अपने बैग में भारी भरकम तौलिया लेकर यात्रा करते हैं। जो कि एक परेशानी का सबब पूरी यात्रा में बना रहता है। मैं बजाय तौलिया ले जाने के एक सौ रूपये का गमछा प्रयोग करता हूँ। एक तो ये हल्का होता है, बैग में जगह भी कम घेरता है और साथ ही कई और रूप में प्रयोग में आ जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा तो ये होता है कि स्नान करने के बाद ये गीला भी हो गया तो सूख बड़ी जल्दी जाता है। जबकि तौलिए को सूखने में ज्यादा समय लगता है, कई बार तो गीले तौलिए को ही ढोना पड़ता है। अगर हम कड़ी धूप में ट्रैकिंग कर रहे हैं तो गमछे को भिगाकर सर पर डाल दिया जाए तो ये धूप से भी बचाता है। बजाय कि सफ़र में ढेर सारे रूमाल ले जाने के सर्फ एक गमछा रूमाल का काम कर देता है। मेरी ट्रैकिंग किट में गमछा हमेशा साथ चलता है। तौलिए के लिए मेरे बैग में कोई जगह नही है।
टॉयलेट पेपर (Toilet Roll) - यह एक महत्वपूर्ण मल्टी प्रपस सामग्री है, मेरी नजर में इसका ट्रैकिंग किट में होना अति आवश्यक है। अपने मूल कार्य के लिए तो यह प्रयुक्त होता ही है, साथ में कई कामों के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। इसको कई जगह जुगाड़ के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। अगर जूता कही से काट रहा है, टॉयलेट पेपर मुलायम होता है इसको वहां सेट कर दो तो जूते के काटने से पाँव बच जाते हैं। कहीं चोट लग गई तो खून को साफ़ करने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं। मैं तो अपने कैमरा और उसके ले लेंस की बाहर से सफाई भी टॉयलेट पेपर से ही करता हूँ। एक रोल दो साल पहले खरीदा था अब तक चल रहा है। और इसका लाभ मेरे अलावा कई ट्रैक पर मेरे सहयात्री भी उठा चुके हैं।
बाम - हिमालय की ऊंचाइयों पर ही अक्सर ट्रैक करते समय ग्लेशियरों से बहकर आता बर्फीला पानी ही पीना पड़ता है। ट्रैक पर सम्भव नहीं होता कि हर वक्त गर्म पानी ही नसीब हो। ऐसे में सर्दी जुखाम होने के पूरे - पूरे चांस होते हैं। कई बार ऑक्सीजन की कमी के कारण हल्का सा सर दर्द लगातार बना रहता है। रात को सोने से पहले पाँव के तलुओं में अगर बाम से मालिश कर दें तो बहुत आराम भी मिलता है। इसलिए बाम चाहे किसी भी कम्पनी का हो एक महत्वपूर्ण सामग्री है।
सरसों का तेल - सरसों का तेल भी एक महत्वपूर्ण सामग्री है जो हमारी किट में होनी चाहिए। मैं एक छोठी सी प्लास्टिक की शीशी में हमेशा सरसों का तेल ट्रैक पर साथ लेकर चलता हूँ। कई बार पाऊँ में मोच आ जाए या चलते-चलते पाँव सूज जाएँ तो थोडा सा सरसों का तेल गर्म करके लगाने से बहुत फायदा मिलता है। पहाड़ों में सन बर्न की शिकायत सबसे ज्यादा होती है। अगर सन क्रीम नहीं है तो इसको ही पोत लो, यकीन मानिये सन बर्न से भी बचा लेगा।
वेसलीन - मेरी टोइलेट्री किट में 5 रूपये वाली वेसलीन की डिब्बी हमेशा रहती है। अक्सर हिमालय की ऊंची चोटियों को लांघते हुए बर्फीली हवाओं को झेलना पड़ता है। होंटों का फट कर बुरा हाल हो जाता है। इससे बचने का सबसे कारगर उपाय है, घुसो होटों पे वेसलीन और आगे बढ़ो।
बाकी ऐसी कुछ छोठी-छठी चीजें और हैं, जैसे सफ़ेद पट्टी, एक दो बेंडेड जैसे-जैसे ध्यान आता जाएगा, आप सबके साथ शेयर करता जाऊँगा। साथ ही किसी ट्रैक पर अगर मैंने कुछ स्पेशल जुगाड़ प्रयोग किया होगा तो समय-समय पर आप सबके साथ शेयर करता रहूँगा।
ये सभी बातें मैं स्वयं के अनुभव के आधार पर प्रयोग करके बता रहा हूँ। हो सकता है कि टिपिकल किताबी ट्रैकर मेरी बातों से सहमत ना हों। लेकिन मैं कम ख़र्चे पर कैसे अपनी किट तैयार की जा सकती है ये अपने अनुभव के आधार पर शेयर कर रहा हूँ। फिर भी शुरू में कह चुका हूँ, हर शरीर की अपनी अलग जरुरत होती है।
आपके प्रश्नों और सुझावों का सदैव स्वागत है।
क्या बात है बीनू भाई .. बहुत अच्छी बातें बताई ! मैंने कभी ट्रेकिंग नहीं की फिजिकल प्राॅब्लम के कारण परंतु पहाड़ों की खूबसूरती मुझे हमेशा बुलाती है। कृपया लिस्ट बनाकर बतायें कि क्या-क्या चीजें, कपड़े हों एक पर्वतारोही के बैग में ! जा न पाऊँ तो भी महसूस कर ही सकता हूँ !
ReplyDeleteजी जरूर, इसीलिए ये सीरीज शुरू की है जिसमे अपने अनुभव और क्या मेरी ट्रैकिंग किट या बैग में साथ लेकर चलता हूँ, समय-समय पर आप सभी के साथ शेयर करता रहूँगा। साथ ही मेरे हर ट्रैक के बाद उस ट्रैक की विशेषतायें और वहां के लिए शारीरिक तैयारी क्या करनी चाहिए सब कुछ एक खुली किताब के रूप में आप सभी के सामने रखने का प्रयत्न करूँगा।
Deleteक्या बात है बीनू भाई .. बहुत अच्छी बातें बताई ! मैंने कभी ट्रेकिंग नहीं की फिजिकल प्राॅब्लम के कारण परंतु पहाड़ों की खूबसूरती मुझे हमेशा बुलाती है। कृपया लिस्ट बनाकर बतायें कि क्या-क्या चीजें, कपड़े हों एक पर्वतारोही के बैग में ! जा न पाऊँ तो भी महसूस कर ही सकता हूँ !
ReplyDeleteबाकी जहाँ तक मेरा मानना है शारीरिक परेशानी नाम की कोई बात नहीं होती। अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) के बारे में पढियेगा एक बार। आपके विचार बदल जाएंगे। शुभकामनाएं मेरी ओर से।
Deleteबेंडएड, मूव, एक छोटा स्टैपलर या सुई, ग्लवस, गॉगलस, कुछ जरूरती दवाईयां, एक स्टीक या डंडा, एक्सट्रा जूराबे। बाकी जो आपने बताया वो तो है ही।
ReplyDeleteबहुत बढिया जानकारी दी आपने।
धन्यवाद सचिन भाई।
Deleteक्या बात, छक्के छक्का मारे जा रहे गुरु।
ReplyDeleteहा हा हा। धन्यवाद कमल भाई।
Deleteउपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
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