Friday, 26 February 2016

हर की दून ट्रैक:- आयोजन और दिल्ली से लाखामंडल


हर की दून, उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में 3550 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गोविंद पशु अभ्यरयण क्षेत्र के अंतर्गत एक खूबसूरत घाटी है। जौंधार ग्लेशियर से अपने उदगम के बाद यमुना की सहायक सुपिन नदी इसी घाटी से बहती हुयी निकलती है। स्वर्गारोहिणी पर्वत के शानदार दर्शन यहाँ से होते हैं, और घाटी की खूबसूरती के तो कहने ही क्या। पिछले कुछ वर्षों से निर्धारित किया हुआ है, कि जब पूरा देश गणतन्त्र दिवस मना रहा होगा, तब मैं हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों पर हूँगा।

Thursday, 18 February 2016

अदवाणी यात्रा:- अदवाणी और दिल्ली वापसी

इस यात्रा वृतान्त को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.
अदवाणी और दिल्ली वापसी....

करीब 2 बजे अदवानी पहुँचे तो भरत और लम्बू सड़क पर ही इंतज़ार करते मिले। भरत ने रुकने की ब्यवस्था फारेस्ट गेस्ट हाउस में करवा रखी थी। चौकीदार दिन में तो वहां होते हैं, लेकिन रात को वो भी अपने गाँव चले जाते हैं। इसका मतलब आज रात को पूरे गेस्ट हाउस के मालिक हम ही थे। घने जंगल में बसे अदवानी में सिर्फ एक दो घर बने हैं, एक चाय की दुकान और फारेस्ट गेस्ट हाउस है। गेस्ट हाउस भी ठीक सड़क के नीचे ही बना है। बेहद शांत जगह, कोई गाड़ियों का शोर शराबा नहीं, और आस पास बांज-बुरांश का बेहद घना जंगल। 

Saturday, 13 February 2016

अदवाणी यात्रा :- दिल्ली से अदवाणी (पौड़ी गढ़वाल)

दिल्ली से अदवाणी

ऐसे तो अभी तक बहुत सी यात्रा और ट्रैकिंग कर चूका हूँ लेकिन जब ब्लॉग लिखना शुरू किया था तो पहले से ही निश्चय कर लिया था कि 2015 के बाद की ही यात्राओं को लिखूंगा और वो भी सिर्फ ट्रैकिंग से संभन्दित। अदवाणी यात्रा भी पिछले वर्ष 2015 में ही की थी परन्तु ये ट्रैकिंग नहीं थी। असल में हम पांच बचपन के दोस्त हैं, जो अपनी कॉलेज की पढाई पूरी होने के बाद अपनी अपनी जिंदगियों में ब्यस्त हो गए, लेकिन एक दुसरे के लिए वही निश्चल प्यार जो कॉलेज के दिनों में होता था, सभी के दिल में आज भी बरकरार है।


Wednesday, 10 February 2016

रूपकुण्ड ट्रैक के बारे में जानकारियां

इस यात्रा के सभी वृतान्तो के लिंक निम्न हैं:- 



रूपकुण्ड ट्रैक की जानकारी

रूपकुण्ड ये नाम बहुत से ट्रैकर को अपनी ओर आकर्षित करता आया है, इस एक ट्रैक पर प्रकृति के कई रंग एक साथ देखने को मिलते हैं, पहाड़ के गाँव में रुकने का अनुभव, घना जंगल, शानदार बुग्याल का साम्राज्य, चौखम्भा, नंदा घूंटी और त्रिशूल पर्वत के शानदार दर्शन और विश्व प्रसिद्द नंदा देवी राज जात यात्रा भी यहीं से होकर गुजरती है उससे जुडे पौराणिक स्थान और कहानियां। और फिर इस कुण्ड में बिखरे पड़े सदियों पुराने नर कंकाल तो हैं ही। इतना सब कुछ जब एक ही ट्रैक पर मिल रहा हो तो सभी का इसकी ओर आकर्षित होना बनता ही है। इसलिए साल दर साल बहुत लोग यहाँ घूमने आते रहे हैं। बेदिनी बुग्याल, आली बुग्याल आदि बहुत से आकर्षण यहाँ हैं जो सभी को अपनी और खींचते रहते हैं। 

Tuesday, 9 February 2016

रूपकुण्ड ट्रैक (अन्तिम भाग) :- भगुवासा से जुनारगली और वापसी


रूपकुंड ट्रेक (अंतिम भाग) :- भागुवासा से जुनारगली और वापसी 


कल रात को सोने से पहले ही सबने तय कर लिया था कि सुबह जितनी जल्दी होगा रूपकुण्ड के लिए निकल पड़ेंगे। सिर्फ हम लोग ही कल से भगुवासा में थे। ढाबे वाले ने भी सुबह जल्दी जाने की ही सलाह दी थी, अक्सर जो भी भगुवासा रुकता है, वो सुबह जल्दी जाकर दिन के भोजन के लिए वापिस भगुवासा आ जाता है, क्योंकि इससे आगे कुछ भी उपलब्धता नहीं है। पांच बजे सभी उठ गए, कल शाम का हट के अन्दर टेण्ट लगाकर सोने का आईडिया अच्छी तरह से काम कर गया, सबसे ठण्डी जगह पर रात बिताने के बावजूद, किसी भी सदस्य ने ठण्ड लगने की शिकायत नहीं की, सभी पछता रहे थे कि बेदिनी में ऐसा क्यों नहीं किया। जल्दी से तैयार हो गए, तैयार क्या होना था, सिर्फ जूते ही तो पहनने थे, पूरे कपड़ों में ही स्लीपिंग बैग में सोये थे। नाश्ता करने का मन तो नहीं था, फिर भी जबरदस्ती खाया, सूप और नूडल्स थे, बस ठूंस ही लिए। टोर्च जलाकर अँधेरे में ही रूपकुण्ड के लिए निकल पड़े।