Tuesday, 27 September 2016

जम्मू-कश्मीर यात्रा:- भदरवाह पात मेला, चण्डी देवी और गुप्त गंगा

भदरवाह पात मेला, चण्डी देवी और गुप्त गंगा




भदरवाह में प्रवेश करते ही प्रकृति की खूबसूरती के सामने मन ही मन नतमस्तक हो गए। क्या कमाल की जगह है। घाटी में बसा ये शहर अपने अन्दर अदभुत खूबसूरती समाये हुए है। वासुकी नाग इस क्षेत्र के ईष्ट देव हैं, शहर में प्रवेश करते ही वासुकी नाग देवता का मन्दिर दिखा तो मन्दिर को देखने चले गए। इस क्षेत्र के पौराणिक मन्दिर लगभग एक ही शैली के बने हैं। पटनी टॉप स्थित नाग देवता का मन्दिर भी इसी शैली का बना देखा था। ये भी छोठा सा मन्दिर है, लेकिन इसके सूचना पट पर एक अजीब सी सूचना लिखी देखी कि "इस मन्दिर में स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है" वहां पर कुछ महिलायें थी भी जो सीढ़ियों से ही अपने ईष्ट देव को नमन करके वापिस लौट रही थी। मालूम नहीं भागवान ने किसके कान में के ये कह दिया, कोई पुजारी भी मन्दिर में नहीं था, अन्यथा पूछता जरूर।

Saturday, 24 September 2016

जम्मू-कश्मीर यात्रा:- उधमपुर से भदरवाह


उधमपुर से भदरवाह 

सुबह छह बजे आँख खुल गई। हमारे कूपे में कुछ नौजवानों का एक ग्रुप था, जो वैष्णो देवी की यात्रा पर जा रहे थे। कुछ देर उनसे बातचीत हुई। उनको जम्मू ही उतरना था यहाँ से सड़क मार्ग से आगे जाएंगे। सात बजे हमारी ट्रेन जम्मू पहुँच गई। आधी से ज्यादा ट्रेन यहीं खाली हो चुकी थी। लगता है अधिकतर लोग वैष्णो देवी की यात्रा के लिए ही इस ट्रेन से सफ़र कर रहे थे। कोठारी जी व शशि भाई भी हमारे ही कूपे में आ गए। जम्मू से आगे उधमपुर तक शिवालिक की पहाड़ियों से ट्रेन में गुजरते हुए शानदार नज़ारे देखने को मिलने वाले थे। कुल छोठी बड़ी बाईस सुरंगों से होकर ट्रेन गुजरने वाली थी। जम्मू से उधमपुर की दूरी लगभग पचपन किलोमीटर है। रमेश जी को सूचित कर दिया कि ट्रेन जम्मू से चल पड़ी है। मैंने खिड़की की सीट पर कब्ज़ा कर लिया और बाहर के शानदार नज़ारे देखने लगा।

Thursday, 15 September 2016

जम्मू-कश्मीर यात्रा:- आयोजन और दिल्ली से रवानगी

आयोजन और दिल्ली से रवानगी

"मिनी कश्मीर" जी हाँ इसी नाम से भदरवाह या भद्रकाशी को जाना जाता है। पिछले दिनों हुए अजीबोगरीब घटनाक्रम से जब मन अशान्त हो गया तो मन पहाड़ की ओर भटकने लगा। ऐसे ही एक दिन अमित तिवारी भाई को कहा कि यार निकलते हैं कहीं दो-चार दिन के लिए, मुझे कुछ सूझ नहीं रहा, जहाँ आप बोलोगे निकल पड़ेंगे। अमित भाई तुरन्त तैयार हो गए और शाम तक जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले स्थित भदरवाह और उससे आगे कैलाश कुण्ड ट्रैक करने का पूरा कार्यक्रम मेरे को भेज डाला। घूमने के मामले में अमित भाई की और मेरी इच्छाएं लगभग एक जैसी ही हैं, इसलिए मुझे मालूम था कि ट्रैक तो होना ही था चाहे छोठा सा ही क्यों ना हो। पहले बनाये कार्यक्रम के अनुसार हमको वीरवार शाम को दिल्ली से उधमपुर के लिए निकलना था, लेकिन जब किसी भी ट्रेन में टिकिट नहीं मिली तो एक दिन पहले बुधवार को ही निकालना तय कर लिया।