इस यात्रा वृतान्त को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
सतोपन्थ से बद्रीनाथ वापसी
सतोपन्थ से बद्रीनाथ वापसी
बुखार की वजह से पूरी रात अच्छे से सो नहीं पाया। कभी आँख लगती भी तो जोर से ग्लेशियरों के टूटने की आवाज आती। कभी ऊपर पहाड़ों से बर्फ के टूटकर गिरने की आवाज आती तो आँख खुल जाती। डर भी लग रहा था कि कहीं ये गिरकर हमारे ही ऊपर ना आ जाएँ। सुबह उजाला होते ही टेण्ट छोड़ दिया। मौसम अब भी साफ़ नहीं था। लग रहा था कभी भी बारिश हो सकती है।
![]() |
सतोपन्थ से वापसी |